बदला गया प्रधानमंत्री कार्यालय का नाम, अब ‘सेवा तीर्थ’ के नाम से जाना जाएगा PMO
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) का नाम आधिकारिक रूप से बदलकर ‘सेवा तीर्थ’ कर दिया है। यह निर्णय हाल ही में जारी अधिसूचना के बाद प्रभावी हो गया है, और अब PMO को सभी सरकारी दस्तावेजों, संचार और आधिकारिक संदर्भों में इसी नए नाम से जाना जाएगा।
सरकार का तर्क और उद्देश्य
सरकार का कहना है कि इस नाम परिवर्तन के पीछे मुख्य विचार “सत्ता नहीं, सेवा” की भावना को आगे बढ़ाना है। लंबे समय से PMO को शक्ति-संचालित संस्थान के रूप में देखा जाता रहा है, और इस बदलाव को उसी छवि को बदलने की कोशिश के रूप में पेश किया गया है। “सेवा तीर्थ” नाम को जनकल्याण, पारदर्शिता और नागरिक-केन्द्रित शासन की दिशा में प्रतीकात्मक कदम बताया गया है।
अन्य भवनों के नाम भी बदले गए :
देश के सभी राजभवनों का नाम बदलकर ‘लोक भवन’ कर दिया गया है। यह कदम व्यापक सरकारी नीति का हिस्सा बताया जा रहा है जिसमें औपनिवेशिक परंपराओं और पुरानी प्रशासनिक पहचान को भारतीय संदर्भों से बदलने का प्रयास किया जा रहा है।
पिछले वर्ष प्रधानमंत्री के लिए बनाए गए नए कार्यालय-परिसर को पहले ही “सेवा तीर्थ” नाम दिया गया था। अब इस नाम को आधिकारिक रूप से पूरे PMO पर लागू कर दिया गया है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह कदम सिर्फ नाम बदलने का नहीं, बल्कि सरकार की छवि को “जनसेवा-केंद्रित” दिखाने की रणनीति भी है।

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