21 नवंबर 2025 से लागू हुए नए लेबर कोड: नौकरी छूटने पर अब मिलेगा अनिवार्य मुआवजा और 15 दिन वेतन के बराबर री-स्किलिंग फंड
नई दिल्ली। सरकार द्वारा 21 नवंबर 2025 से देशभर में नई श्रम संहिताओं (Labour Codes) को लागू किए जाने के बाद कर्मचारियों के अधिकारों और नौकरी छूटने की स्थिति में मिलने वाले लाभों में बड़ा बदलाव आया है। नए प्रावधानों के तहत अब नौकरी से हटाए गए कर्मचारियों को न केवल अनिवार्य रिट्रेंचमेंट मुआवजा मिलेगा, बल्कि इसके साथ 15 दिनों के वेतन के बराबर ‘री-स्किलिंग फंड’ भी अनिवार्य रूप से प्रदान किया जाएगा।
री-स्किलिंग फंड क्या है?
री-स्किलिंग फंड एक ऐसी आर्थिक सहायता है, जिसे नौकरी समाप्त होने के बाद कर्मचारी को 45 दिनों के भीतर सीधे उसके बैंक खाते में जमा किया जाएगा। इस फंड का उद्देश्य कर्मचारियों को नई स्किल्स सीखने, फिर से रोजगार पाने और संक्रमण (transition) की स्थिति में वित्तीय स्थिरता देने में मदद करना है।
फुल एंड फाइनल सेटलमेंट अब सिर्फ 48 घंटे में :
नए लेबर कोड के तहत कंपनियों को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि कर्मचारी के इस्तीफा देने या नौकरी से हटाए जाने की स्थिति में 48 घंटे (दो कार्यदिवस) के भीतर पूरा फुल एंड फाइनल भुगतान कर दिया जाए। पहले जहां इस प्रक्रिया में कई बार सप्ताहों या महीनों तक देरी होती थी, अब यह कानूनी रूप से बाध्यकारी बन गया है।
नौकरी छूटने के बाद राहत :
अक्सर देखा जाता है कि नौकरी खोने के बाद कर्मचारी आर्थिक असुरक्षा, मानसिक तनाव और भविष्य की चिंता से जूझता है। नई श्रम संहिताओं का उद्देश्य इसी संकट को कम करना है। रिट्रेंचमेंट की स्थिति में अब कर्मचारी दो प्रमुख लाभों का हकदार होगा
1. कानूनी अनिवार्य मुआवजा :
2. 15 दिन के वेतन के बराबर री-स्किलिंग भत्ता
यह दोनों राशि कंपनी द्वारा निर्धारित समय सीमा के भीतर जमा करना कानूनी बाध्यता होगी।
किस स्थिति में मिलेगा लाभ?
री-स्किलिंग फंड और रिट्रेंचमेंट मुआवजा केवल तभी लागू होगा जब—
1. कर्मचारी को कंपनी द्वारा रिट्रेंचमेंट, यानी नियोक्ता द्वारा हटाया गया हो।
2. कर्मचारी स्वयं त्यागपत्र देने की स्थिति में इस फंड का लाभ लागू नहीं होगा।
नतीजा: नई श्रम संहिता ने बदली तस्वीर
नए प्रावधानों ने श्रमिकों के हितों को मजबूत किया है। नौकरी छूटने के बाद आय का पूर्ण अभाव न हो, और कर्मचारी तेजी से नई स्किल्स सीखकर दोबारा रोजगार पा सके यही इस सुधार का प्रमुख उद्देश्य है।
सरकार का दावा है कि ये बदलाव देश में कार्यस्थल सुरक्षा, पारदर्शिता और कर्मचारी कल्याण को नई दिशा देंगे।

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