रेलवे ग्रुप D अभ्यर्थियों को बड़ी राहत: हाई कोर्ट ने खारिज की SECR की याचिकाएं, 14 साल बाद नियुक्ति का रास्ता साफ
बिलासपुर। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे (SECR) में ग्रुप डी की नौकरी के लिए 2010 में आवेदन करने वाले 100 से अधिक योग्य अभ्यर्थियों को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद की डबल बेंच (Division Bench) ने रेलवे प्रशासन द्वारा दायर की गई सभी याचिकाएं खारिज कर दी हैं। कोर्ट के इस फैसले से रिप्लेसमेंट कोटा के तहत इन उम्मीदवारों की नियुक्ति का रास्ता अब खुल गया है।
14 साल पुराना मामला और कैट का आदेश :
दरअसल, यह मामला 15 दिसंबर 2010 को जारी ग्रुप डी भर्ती अधिसूचना से जुड़ा है। कई साल बीत जाने के बाद भी योग्य उम्मीदवारों को नियुक्ति नहीं मिली। जिसके बाद अभ्यर्थियों ने केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (CAT) में गुहार लगाई।
कैट ने 6 मार्च 2024 को अपने फैसले में रेलवे को स्पष्ट निर्देश दिया था कि वह 17 जून 2008 की अधिसूचना के अनुसार रिप्लेसमेंट कोटा के तहत रिक्तियों की स्थिति की जांच करे और यदि पद खाली हों, तो याचिकाकर्ताओं को नियुक्ति देने पर विचार करे।
हाई कोर्ट ने खारिज की रेलवे की दलील :
कैट के इसी आदेश को रेलवे ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। रेलवे ने तर्क दिया था कि चयन पैनल में शामिल होने मात्र से किसी उम्मीदवार को नियुक्ति का निहित अधिकार (Vested Right) नहीं मिल जाता है।
हाई कोर्ट ने रेलवे की इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि, "एक वैध रूप से तैयार किए गए चयन पैनल में शामिल उम्मीदवार को नियुक्ति का निहित अधिकार न हो, लेकिन वह उचित, निष्पक्ष और कानूनी विचार (Fair and Legal Consideration) का हकदार है। नियुक्ति प्राधिकारी मनमाने ढंग से चयन पैनल को नजरअंदाज नहीं कर सकता।"
कोर्ट ने यह भी कहा कि योग्य उम्मीदवार के मेरिट में होने और पद खाली होने की स्थिति में, नियुक्ति केवल ठोस और उचित कारणों पर ही नकारी जा सकती है।
4 महीने में ऑडिट पूरा करने का निर्देश :
हाई कोर्ट ने इस मामले में देरी को देखते हुए रेलवे को कड़ा निर्देश दिया है। कोर्ट ने आदेश दिया कि:
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एक उच्च स्तरीय अधिकारी की अध्यक्षता में तत्काल खाली पदों का ऑडिट (Audit) किया जाए।
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यह जांच की जाए कि 2010 की भर्ती के तहत कितने पद भरे नहीं गए और कितने पद अब भी रिप्लेसमेंट/वेटिंग लिस्ट से भरे जा सकते हैं।
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यह ऑडिट प्रक्रिया प्राथमिकता से चार महीने के भीतर पूरी की जाए ताकि योग्य उम्मीदवारों को और अधिक देरी का सामना न करना पड़े।

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