बड़ी खबर : 1 करोड़ 19 लाख के इनामी 41 माओवादियों ने किया सरेंडर

बड़ी खबर : 1 करोड़ 19 लाख के इनामी 41 माओवादियों ने किया सरेंडर

बीजापुर। छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में माओवाद उन्मूलन अभियान को आज एक ऐतिहासिक सफलता मिली है। 'संविधान दिवस' के अवसर पर जिले में हिंसा का रास्ता छोड़कर 41 माओवादियों ने पुलिस और सुरक्षा बलों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। इन सभी माओवादियों पर सरकार की ओर से कुल 1 करोड़ 19 लाख रुपये का इनाम घोषित था।

पुलिस प्रशासन द्वारा चलाए जा रहे 'पूना मारगेम' (नई सुबह) अभियान और 'नियद नेल्ला नार' योजना से प्रभावित होकर इन नक्सलियों ने हथियार डाल दिए हैं। सरेंडर करने वालों में 12 महिला और 29 पुरुष कैडर शामिल हैं।

बड़े नक्सली शामिल :
पुलिस अधीक्षक डॉ. जितेंद्र कुमार यादव ने बताया कि सरेंडर करने वाले माओवादी सिर्फ निचले स्तर के नहीं, बल्कि बड़े ओहदेदार हैं। इनमें साउथ सब जोनल ब्यूरो के 39 माओवादियों के अलावा तेलंगाना स्टेट कमेटी और धमतरी-गरियाबंद-नुआपाड़ा डिवीजन के सदस्य भी शामिल हैं।

प्रमुख सरेंडर (जिन पर था सबसे ज्यादा इनाम):
पण्डरू हपका उर्फ मोहन: बटालियन नंबर 01 का पीपीसीएम (8 लाख का इनाम)।
बण्डी हपका: बटालियन नंबर 01 की पीपीसीएम (8 लाख का इनाम)।
लक्खू कोरसा: कंपनी नंबर 02 का सदस्य (8 लाख का इनाम)।
बदरू पुनेम: प्लाटून नंबर 30 का सदस्य (8 लाख का इनाम)।
सुखराम हेमला व मजुंला हेमला: प्लाटून नंबर 50 के सदस्य (8-8 लाख का इनाम)।
माटा कडियम व जमली कडियम: भैरमगढ़ एरिया कमेटी सदस्य (5-5 लाख का इनाम)।

इसके अलावा, अलग-अलग आरपीसी के जनताना सरकार अध्यक्ष, मिलिशिया कमांडर और डिप्टी कमांडर स्तर के नक्सलियों ने भी आत्मसमर्पण किया है।

2025: माओवाद के अंत का साल?
पुलिस द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, बीजापुर जिले में माओवादी संगठन तेजी से बिखर रहा है।
01 जनवरी 2025 से अब तक: 560 माओवादी सरेंडर कर चुके हैं, 528 गिरफ्तार हुए हैं और 144 मुठभेड़ में मारे गए हैं।
01 जनवरी 2024 से अब तक: कुल 790 माओवादी मुख्यधारा में लौटे हैं।

पुनर्वास और तत्काल सहायता :
आत्मसमर्पण करने वाले सभी 41 कैडरों को उत्साहवर्धन के लिए शासन की पुनर्वास नीति के तहत 50,000 रुपये की तत्काल आर्थिक सहायता राशि प्रदान की गई। प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि उन्हें समाज में सम्मानजनक जीवन जीने के लिए हर संभव मदद दी जाएगी।

एसपी की अपील: "खोखली विचारधारा छोड़ें"
बीजापुर एसपी डॉ. जितेंद्र कुमार यादव ने कहा, "माओवादी अब समझ चुके हैं कि हिंसा की विचारधारा खोखली है। उनके साथी और परिजन चाहते हैं कि वे सामान्य जीवन जिएं। शासन की नीतियां उन्हें सुरक्षित भविष्य और स्वावलंबन का मौका दे रही हैं।"

इस सामूहिक आत्मसमर्पण में डीआरजी (DRG), बस्तर फाइटर, एसटीएफ (STF), कोबरा बटालियन (201, 202, 204, 210) और सीआरपीएफ (CRPF) के अधिकारियों व जवानों का विशेष योगदान रहा।