ISRO का बड़ा धमाका: चांद के 'अंधेरे कोने' में मिली बिजली! चंद्रयान-3 ने भेजा सबूत, दंग रह गई दुनिया

ISRO का बड़ा धमाका: चांद के 'अंधेरे कोने' में मिली बिजली! चंद्रयान-3 ने भेजा सबूत, दंग रह गई दुनिया

नई दिल्ली/बेंगलुरु। क्या चांद पर करंट लगता है? क्या वहां बिजली का प्रवाह है? जिस सवाल ने दशकों से दुनिया भर के वैज्ञानिकों को उलझा रखा था, उसका जवाब भारत के चंद्रयान-3 ने दे दिया है। इसरो (ISRO) ने पुष्टि कर दी है कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव (South Pole) पर सन्नाटा नहीं, बल्कि वहां का वातावरण 'इलेक्ट्रिक' है। विक्रम लैंडर से मिले ताज़ा डेटा ने पूरी दुनिया को चौंका दिया है। वहां प्लाज्मा (Plasma) की खोज हुई है, जो भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों की दिशा बदल सकती है।

चांद की मिट्टी में छिपा था यह गहरा राज :

इसरो के वैज्ञानिकों ने बताया कि चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर पर लगे रंभा-एलपी (RAMBHA-LP) पेलोड ने वहां के वातावरण में भारी मात्रा में आयन और इलेक्ट्रॉन देखे हैं। आसान भाषा में समझें तो वहां की हवा में "बिजली जैसा चार्ज" मौजूद है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, चांद की सतह के पास 380 से 600 इलेक्ट्रॉन प्रति घन सेंटीमीटर मिले हैं। यह संख्या उम्मीद से कहीं ज्यादा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि जब सूरज की तेज किरणें चांद की मिट्टी (Regolith) से टकराती हैं, तो वहां एक तरह का 'इलेक्ट्रिक करंट' पैदा होता है।

क्या हम वहां बल्ब जला सकते हैं?

नहीं, यह हमारे घरों में आने वाली बिजली जैसी नहीं है। यह अंतरिक्ष में मौजूद 'प्लाज्मा' है।

  • कैसे बनती है यह बिजली: सूरज की रोशनी जब चांद की सतह पर गिरती है, तो वहां की गैसों और मिट्टी से इलेक्ट्रॉन बाहर निकल जाते हैं। इससे वहां एक चार्ज्ड वातावरण (Charged Environment) बन जाता है।

  • तापमान चौंकाने वाला: वहां मौजूद इन इलेक्ट्रॉनों की ऊर्जा इतनी ज्यादा है कि इसका तापमान 3000 से 8000 केल्विन तक आंका गया है।

भविष्य के यात्रियों के लिए 'खतरे की घंटी'?

यह खोज सिर्फ एक जानकारी नहीं, बल्कि एक बड़ी चेतावनी भी है। अब तक नासा (NASA) और दुनिया की अन्य एजेंसियां चांद पर इंसानी बस्तियां बसाने का सपना देख रही थीं, लेकिन इस 'इलेक्ट्रिक माहौल' ने चिंता बढ़ा दी है।

  1. स्पेस सूट को खतरा: अगर कोई एस्ट्रोनॉट वहां जाता है, तो यह इलेक्ट्रिक चार्ज उसके स्पेस सूट को नुकसान पहुंचा सकता है।

  2. संचार ठप होने का डर: वहां मौजूद प्लाज्मा रेडियो सिग्नल्स में बाधा डाल सकता है, जिससे पृथ्वी से संपर्क टूट सकता है।

  3. मशीनों में खराबी: रोवर या लैंडर के इलेक्ट्रॉनिक सर्किट इस चार्ज की वजह से शॉर्ट सर्किट हो सकते हैं।

दुनिया ने माना इसरो का लोहा :

इसरो का यह डेटा बताता है कि चंद्रयान-3 सिर्फ चांद पर उतरने वाला मिशन नहीं था, बल्कि यह विज्ञान की दुनिया का 'कोलंबस' साबित हुआ है। दक्षिणी ध्रुव पर जो डेटा भारत ने जुटाया है, वह अब तक किसी भी देश के पास नहीं था। अब वैज्ञानिकों को भविष्य के मिशनों के लिए ऐसे स्पेस सूट और उपकरण बनाने होंगे, जो इस 'करंट' को झेल सकें। भारत की यह खोज चांद पर इंसानों के बसने की राह को अब और सुरक्षित बनाएगी।