लोकसभा में पेश हुआ ‘राइट टू डिस्कनेक्ट बिल’: ऑफिस के बाद बॉस का फोन न उठाने का मिल सकता है हक

लोकसभा में पेश हुआ ‘राइट टू डिस्कनेक्ट बिल’: ऑफिस के बाद बॉस का फोन न उठाने का मिल सकता है हक

नई दिल्ली। कर्मचारियों को काम के घंटों के बाद मिलने वाली निजी आज़ादी को सुरक्षित करने के उद्देश्य से लोकसभा में ‘राइट टू डिस्कनेक्ट बिल, 2025’ पेश किया गया है। इस बिल ने देशभर के जॉब सेक्टर में नई चर्चा छेड़ दी है, क्योंकि इसका मकसद कर्मचारियों को ऑफिस के बाद काम से हटकर पूरी तरह “डिस्कनेक्ट” रहने का अधिकार देना है।

प्रस्तावित बिल के अनुसार, यदि यह कानून बनता है, तो कर्मचारियों पर ऑफिस के बाद आने वाले कॉल, ईमेल या व्हाट्सऐप मैसेज का जवाब देने का कोई कानूनी दबाव नहीं होगा। यानी काम खत्म होने के बाद बॉस का फोन न उठाना कर्मचारी का अधिकार माना जाएगा, और इसके लिए किसी तरह की अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं की जा सकेगी।

बिल में यह भी प्रस्ताव है कि कंपनियों को स्पष्ट नीति बनानी होगी, जिससे कर्मचारियों को पता रहे कि किस समय के बाद उनसे कोई कार्य-संबंधी प्रतिक्रिया अपेक्षित नहीं है। इसका उद्देश्य वर्क-लाइफ बैलेंस को सुधारना, मानसिक तनाव घटाना और लगातार डिजिटल निगरानी से कर्मचारियों को राहत देना है।

हालांकि यह बिल अभी केवल प्राइवेट मेंबर बिल के रूप में पेश हुआ है। इसका मतलब है कि इसे कानून बनने तक लंबी संसदीय प्रक्रिया से गुजरना होगा। कई प्राइवेट मेंबर बिल आगे नहीं बढ़ पाते, इसलिए यह कहना अभी जल्दबाज़ी होगी कि कर्मचारियों को तुरंत यह हक मिल गया है।

फिलहाल, बिल के पेश होते ही इस मुद्दे पर व्यापक बहस शुरू हो गई है। कामकाजी लोगों ने इसे सकारात्मक कदम बताया है, जबकि विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के प्रावधान भारत की कार्यसंस्कृति में एक बड़ा बदलाव ला सकते हैं।