10 साल के बेटे के यौन शोषण की आरोपी मां और मामा को मिली जमानत, कोर्ट ने कहा- 'ये हार्डकोर क्रिमिनल नहीं'
ठाणे। महाराष्ट्र के ठाणे में एक दिल दहला देने वाले मामले में नया मोड़ आया है। यहां एक 10 साल के बच्चे के यौन शोषण (Sexual Assault) के आरोप में गिरफ्तार उसकी सगी मां और मामा को विशेष POCSO अदालत ने जमानत दे दी है। अदालत ने अपने फैसले में टिप्पणी की कि आरोपियों का कोई पुराना आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है और उन्हें 'हार्डकोर क्रिमिनल' (Hardcore Criminal) नहीं माना जा सकता।
क्या है पूरा मामला?
यह घटना ठाणे के लोकमान्य नगर इलाके की है। पुलिस के मुताबिक, पीड़ित बच्चे के माता-पिता अलग हो चुके थे और बच्चा अपनी मां के साथ रहता था। आरोप है कि साल 2021 से बच्चे की मां और मामा उसका लगातार यौन शोषण कर रहे थे। बच्चा मानसिक दबाव और डर के कारण लंबे समय तक चुप रहा, लेकिन बाद में उसने यह बात अपने पिता को बताई। पिता की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज किया।
7 अगस्त को हुई थी गिरफ्तारी :
मामले का खुलासा होने के बाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए 7 अगस्त को बच्चे की मां और मामा को गिरफ्तार कर लिया था। दोनों के खिलाफ POCSO एक्ट, भारतीय न्याय संहिता (BNS) और किशोर न्याय अधिनियम (JJ Act) की गंभीर धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था। गिरफ्तारी के बाद से वे न्यायिक हिरासत में थे।
कोर्ट ने इन आधारों पर दी जमानत :
आरोपियों ने ठाणे की विशेष अदालत में जमानत के लिए अर्जी दी थी। बचाव पक्ष ने दलील दी कि पुलिस जांच पूरी हो चुकी है और चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है, इसलिए अब उन्हें हिरासत में रखने का कोई औचित्य नहीं है।
विशेष न्यायाधीश ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद जमानत मंजूर कर ली। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा:
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अपराधिक रिकॉर्ड नहीं: जांच एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, आरोपियों के खिलाफ पहले से कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं है।
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हिरासत की जरूरत नहीं: मौजूदा हालात में आरोपियों से अब और पूछताछ की आवश्यकता नहीं है।
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नहीं हैं पेशेवर अपराधी: कोर्ट ने टिप्पणी की कि आरोपियों को 'हार्डकोर क्रिमिनल' की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता।
सख्त शर्तों पर रिहाई :
अदालत ने दोनों आरोपियों को 30-30 हजार रुपये के निजी मुचलके पर रिहा करने का आदेश दिया है। हालांकि, कोर्ट ने जमानत के साथ सख्त शर्तें भी लगाई हैं:
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आरोपी जांच या ट्रायल को किसी भी तरह से प्रभावित नहीं करेंगे।
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गवाहों पर दबाव बनाने की कोशिश नहीं करेंगे।
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उन्हें पुलिस और कोर्ट के निर्देशों का सख्ती से पालन करना होगा।

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