MP में चुनावी काम बना 'जानलेवा'? 10 दिन में 6 BLOs की मौत
परिजनों का आरोप - 'सस्पेंशन की धमकी और वर्क प्रेशर ले डूबा'
भोपाल। मध्यप्रदेश में मतदाता सूची के विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण (SIR - Special Intensive Revision) अभियान ने एक गंभीर और दुखद मोड़ ले लिया है। प्रशासन जहां इसे चुनावी शुद्धता का महाअभियान बता रहा है, वहीं जमीनी स्तर पर काम करने वाले कर्मचारियों (BLOs) के लिए यह 'काल' साबित हो रहा है।
बीते 10 दिनों के भीतर राज्य के अलग-अलग जिलों में 6 बीएलओ (BLO) की हार्ट अटैक और ब्रेन हैमरेज जैसी वजहों से मौत हो चुकी है, जबकि कई अन्य अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं।
क्या है पूरा मामला?
मध्यप्रदेश में इन दिनों मतदाता सूची में नाम जोड़ने, हटाने और संशोधन का काम युद्धस्तर पर चल रहा है। इस काम की जिम्मेदारी बीएलओ (Booth Level Officers) को दी गई है, जिनमें अधिकांश शिक्षक, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और पटवारी हैं।
आरोप है कि प्रशासन द्वारा इन कर्मचारियों पर **'टारगेट पूरा करने'** का इतना दबाव बनाया जा रहा है कि वे जानलेवा मानसिक तनाव (Mental Stress) से गुजर रहे हैं।
सस्पेंशन के डर से रुक गई सांसें (Case Studies) :-
जिलों से आ रही खबरें दिल दहला देने वाली हैं:
1. शहडोल: सरकारी शिक्षक और BLO मनीराम नापित की हार्ट अटैक से मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि उन्हें वरिष्ठ अधिकारियों का फोन आया था, जिसमें काम को लेकर फटकार लगाई गई थी। फोन कटते ही उनकी तबीयत बिगड़ी और उन्होंने दम तोड़ दिया।
2. झाबुआ: शिक्षक भुवन सिंह चौहान को काम में कथित लापरवाही के चलते सस्पेंड (निलंबित) कर दिया गया था। इस अपमान और सदमे को वे बर्दाश्त नहीं कर सके और हार्ट अटैक से उनकी मृत्यु हो गई।
3. रीवा: आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और BLO वीना मिश्रा ड्यूटी के दौरान ही अचेत हो गईं और हार्ट अटैक से उनकी जान चली गई।
4. रायसेन: BLO रमाकांत पांडेय की एक ऑनलाइन समीक्षा बैठक (Review Meeting) के दौरान तबीयत बिगड़ी, जिसके बाद उनकी मौत हो गई।
इसके अलावा दमोह और अन्य जिलों से भी ऐसी ही दुखद खबरें सामने आई हैं।

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