मेरठ के बिगुल को मिला GI टैग, अंतरराष्ट्रीय पहचान की ओर बड़ा कदम
नई दिल्ली। मेरठ के पारंपरिक संगीत वाद्ययंत्र बिगुल ने आखिरकार भौगोलिक संकेत (GI) टैग हासिल कर लिया है, जिससे इस सदियों पुराने हस्तशिल्प को वैश्विक स्तर पर आधिकारिक पहचान मिल गई। स्थानीय कारीगरों द्वारा पीढ़ियों से बनाई जा रही यह धातु-कला अब नकली उत्पादों से बेहतर संरक्षित होगी और इसके असल निर्माताओं को सीधा लाभ मिलेगा।
रिपोर्टों के अनुसार, इस टैग के लिए मेरठ वाद्ययंत्र निर्माता विक्रेता व्यापारी वेलफेयर एसोसिएशन ने आवेदन किया था। दस्तावेजों में 1885 में ज़ली कोठी (मेरठ) क्षेत्र में बिगुल निर्माण का इतिहास दर्ज है, जो इसकी पारंपरिक विरासत को मज़बूत आधार देता है। GI टैग मिलने के बाद मेरठ बिगुल की प्रामाणिकता, बाज़ार-मूल्य और अंतरराष्ट्रीय मांग में वृद्धि की उम्मीद है।
यह उपलब्धि यूपी के पारंपरिक उत्पादों की बढ़ती वैश्विक पहचान में एक और महत्वपूर्ण जुड़ाव है।

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