रिलीज से पहले कानूनी पचड़े में फंसी 'धुरंधर' : शहीद मेजर मोहित शर्मा के परिवार ने हाईकोर्ट में दी चुनौती, फिल्म रोकने की मांग
नई दिल्ली। रणवीर सिंह स्टारर और आदित्य धर निर्देशित मच-अवेटेड फिल्म 'धुरंधर' (Dhurandhar) अपनी रिलीज से ठीक पहले एक बड़े विवाद में घिर गई है। 5 दिसंबर को सिनेमाघरों में दस्तक देने वाली इस फिल्म के खिलाफ शहीद मेजर मोहित शर्मा (अशोक चक्र) के परिवार ने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
परिवार ने फिल्म के निर्माताओं पर बिना अनुमति के मेजर मोहित शर्मा के जीवन और उनके गोपनीय ऑपरेशन्स का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है।
क्या है परिवार की आपत्ति? मेजर मोहित शर्मा के माता-पिता की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि फिल्म 'धुरंधर' की कहानी उनके बेटे के जीवन और शहादत पर आधारित है। विशेष रूप से फिल्म में उस हिस्से को दिखाया गया है जब मेजर शर्मा ने अपनी पहचान बदलकर और दाढ़ी बढ़ाकर आतंकी संगठन 'हिजबुल मुजाहिदीन' में घुसपैठ की थी।
परिजनों का तर्क है: "मेकर्स ने फिल्म बनाने से पहले न तो परिवार से संपर्क किया और न ही कोई अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) लिया। एक शहीद का बलिदान और उसका जीवन कोई 'कमर्शियल कमोडिटी' (व्यापारिक वस्तु) नहीं है, जिसे निर्माता अपनी जेब भरने के लिए बिना सहमति के इस्तेमाल करें।"
क्या है परिवार की मांग? परिवार ने दिल्ली हाईकोर्ट से गुहार लगाई है कि:
फिल्म की रिलीज पर तत्काल प्रभाव से रोक (Stay) लगाई जाए। रिलीज से पहले फिल्म की एक स्पेशल स्क्रीनिंग परिवार के लिए रखी जाए, ताकि वे यह सुनिश्चित कर सकें कि उनके बेटे की छवि और भारतीय सेना की गरिमा के साथ कोई खिलवाड़ नहीं किया गया है।
डायरेक्टर का दावा और हकीकत विवाद को बढ़ता देख फिल्म के निर्देशक आदित्य धर ने हाल ही में सफाई दी थी कि 'धुरंधर' किसी व्यक्ति विशेष की बायोपिक नहीं है, बल्कि यह एक काल्पनिक कहानी है। हालांकि, फिल्म के ट्रेलर और रणवीर सिंह के किरदार को देखकर दर्शकों और रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह कहानी स्पष्ट रूप से मेजर मोहित शर्मा के साहसिक कारनामों से प्रेरित है।
कौन थे 'इफ्तिखार भट्ट' उर्फ मेजर मोहित शर्मा? मेजर मोहित शर्मा '1 पैरा (स्पेशल फोर्सेज)' के एक जांबाज अधिकारी थे। उन्होंने कश्मीर में आतंकवादियों के बीच घुसपैठ करने के लिए अपना नाम 'इफ्तिखार भट्ट' रखा था और लंबे बालों व दाढ़ी के साथ आतंकियों के बीच रहे थे। 2009 में कुपवाड़ा के हफरुदा जंगलों में आतंकियों से लोहा लेते हुए वे वीरगति को प्राप्त हुए थे। उनके अदम्य साहस के लिए उन्हें मरणोपरांत शांतिकाल के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार 'अशोक चक्र' से सम्मानित किया गया था।
अब आगे क्या? फिल्म 5 दिसंबर को रिलीज होने वाली है। अब सबकी निगाहें दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले पर टिकी हैं। अगर कोर्ट परिवार के पक्ष में फैसला देता है, तो मेकर्स को रिलीज टालनी पड़ सकती है या परिवार की शर्तों को मानना पड़ सकता है।

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