गाइडलाइन दरों के पुनरीक्षण की प्रदेशव्यापी मांग, CAIT ने महानिरीक्षक पंजीयन को सौंपे विस्तृत सुझाव
अत्यधिक दरों से संपत्ति बाजार पर बढ़ रहा दबाव, CAIT ने शुल्क के युक्तियुक्तकरण की रखी मांग
रायपुर। देश के सबसे बड़े व्यापारी संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय वाइस चेयरमैन एवं राष्ट्रीय व्यापारी कल्याण बोर्ड (भारत सरकार) के सदस्य अमर पारवानी, छत्तीसगढ़ इकाई के चेयरमेन जितेंद्र दोशी, विक्रम सिंहदेव, अध्यक्ष परमानंद जैन, महामंत्री सुरिन्दर सिंह, कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल, कार्यकारी अध्यक्ष राजेंद्र जग्गी, राम मंधान, वासु मखीजा, भरत जैन, राकेश ओचवानी, शंकर बजाज आदि ने संयुक्त रूप से बताया कि प्रदेश में हाल ही में लागू की गई नई गाइडलाइन दरों एवं अचल संपत्तियों के पंजीयन शुल्क में वृद्धि के बाद व्यापारिक समुदाय, रियल एस्टेट सेक्टर और आम नागरिकों के बीच व्यापक असंतोष और चिंता देखने को मिल रही है। इसी क्रम में आज व्यापारिक संगठनों के प्रतिनिधिमंडल ने महानिरीक्षक पंजीयन एवं अधीक्षक मुद्रांक (पंजीयन विभाग) पुष्पेंद्र कुमार मीना को विस्तृत ज्ञापन एवं सुझाव सौंपे।
प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि नई दरें कई स्थानों पर वास्तविक बाजार स्थिति से मेल नहीं खातीं, जिसके कारण संपत्ति बाजार में मंदी की स्थिति बन रही है। बढ़े हुए शुल्क व अव्यावहारिक दरें खरीदारों और विक्रेताओं दोनों पर अनावश्यक आर्थिक बोझ डाल रही हैं, साथ ही रजिस्ट्री की संख्या घटने से सरकारी राजस्व पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशंका है। ज्ञापन में निम्न प्रमुख सुझाव शामिल किए गएः-
1. पंजीयन शुल्क का युक्तियुक्तकरण: वर्तमान शुल्क संरचना कई क्षेत्रों में वहन क्षमता एवं वास्तविक लेनदेन से अधिक है। शुल्क को क्षेत्रवार बाजार मूल्य के अनुसार संतुलित करने की मांग रखी गई।
2. गाइडलाइन दरों का संतुलित एवं यथार्थ निर्धारण: कुछ क्षेत्रों में बिना आधार के अत्यधिक वृद्धि की गई है। व्यापक क्षेत्रीय सर्वे, शहरों के विस्तार क्षेत्र में तार्किक दरें और ग्रामीण–शहरी क्षेत्रों में संतुलित संरचना लागू करने का सुझाव दिया गया।
3. पंजीयन प्रक्रिया में सरलता और पारदर्शिता: ऑनलाइन सिस्टम को सरल बनाने, शुल्क/दरों की स्पष्ट जानकारी सार्वजनिक करने और दस्तावेज़ जांच प्रक्रिया को समयबद्ध करने की मांग की गई।
4. हितधारकों से परामर्श अनिवार्य किया जाए: नीति निर्धारण प्रक्रिया में रियल एस्टेट डेवलपर्स, व्यापारिक संगठन, अधिवक्ता, रजिस्ट्री लेखक और उपभोक्ता संगठनों को शामिल करने से नीति अधिक व्यावहारिक बनेगी।
5. राजस्व वृद्धि हेतु दीर्घकालिक संतुलित उपाय: अत्यधिक दरों से रजिस्ट्री कम होती है, जबकि युक्तियुक्त दरें अधिक लेनदेन को प्रोत्साहित करती हैं, जिससे स्वाभाविक रूप से राजस्व बढ़ता है। आधुनिक तकनीक आधारित पारदर्शी मूल्यांकन प्रणाली लागू करने का सुझाव भी दिया गया।
प्रतिनिधिमंडल द्वारा रायपुर की संशोधित दरों का तुलनात्मक चार्ट भी विभाग को सौंपा गया, जिससे वास्तविक स्थिति का मूल्यांकन सुगम हो सके।
व्यापारिक समुदाय ने आशा व्यक्त की कि शासन इस विषय पर शीघ्रता से जनहितकारी निर्णय लेकर गाइडलाइन दरों एवं पंजीयन शुल्क का युक्तियुक्तकरण करेगा, जिससे संपत्ति बाजार में स्थिरता और पारदर्शिता सुनिश्चित हो सकेगी।
इस प्रतिनिधि मंडल में कैट के पदाधिकारी मुख्य रूप से उपस्थित रहे :- अमर पारवानी, जितेन्द्र दोशी, परमानन्द जैन, सुरिन्दर सिंह एवं राकेश ओचवानी।

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