77 प्रावधान घटकर हुए 14, नई गाइडलाइन जारी
रायपुर (चैनल इंडिया)। केंद्रीय मूल्यांकन बोर्ड छत्तीसगढ़ ने कृषि भूमि के बाजार मूल्य निर्धारण के नियमों में संशोधन किया है। राज्य सरकार ने 25 साल पुराने गाइडलाइन नियमों में बड़ा बदलाव करते हुए कृषि, डायवर्टेड, नजूल और आबादी की भूमि के लिए समान मूल्य निर्धारण की व्यवस्था लागू की है। पुराने नियमों में मौजूदा विसंगितयों को दूर किया गया है।
77 प्रावधानों को हटाकर अब सिर्फ 14 ही रखे गए हैं। नए नियमों में दो फसली भूमि होने पर 25 प्रतिशत वृद्धि, गैर परंपरागत फसलों पर 25 प्रतिशत वृद्धि, नलकूप-ट्यूबवेल होने पर उसकी अलग कीमत, बाउंड्रीवाल एवं फ्लिंट होने पर उसकी अलग कीमत वृद्धि करने जैसे प्रावधानों को हटा दिया गया है।
अब कोई नया मोहल्ला, कॉलोनी या परियोजना विकसित हो तो उसके लिए विशेष रूप से गाइडलाइन दर का निर्धारण किया जाएगा। इसके लिए गाइडलाइन पुनरीक्षण के लिए प्रतीक्षा नहीं की जाएगी। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के दिशा निर्देश में पंजीयन मंत्री ओपी चौधरी ने विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया था कि जमीन के गाइडलाइन मूल्य निर्धारण संबंधी वर्तमान नियम अत्यंत जटिल तथा विरोधाभासी हैं। यह सामान्यजन की समझ से बाहर हैं, जिसके कारण आम लोगों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अत: इन नियमों को सरल, संक्षिप्त तथा व्यक्तिनिरपेक्ष बनाया जाए।
पूर्व प्रचलित उपबंध में लगभग 77 प्रकार के निर्धारण प्रावधान थे, जिन्हें घटाकर अब गणना संबंधी केवल 14 प्रावधान रखे गए हैं। नलकूप होने पर नलकूप का अलग मूल्य, सिंचित होने का अलग एवं दो फसली होने का अलग मूल्य जुड़ता था। यदि कोई गैर परंपरागत फसल लगी हो तो उसका भी अलग मूल्य जुड़ता था। अब भूमि का मूल्यांकन एकीकृत तरीके से किया जाएगा।
नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायत तथा इनमें कृषि, नजूल, डायवर्टेड भूमि के लिए एक ही प्रकार का प्रावधान किया गया है। सभी वर्ग के नगरों एवं भूमि के लिए अब दर की सीमा 0.14 हेक्टेयर कर दिया गया है। पूर्व उपबंध में निर्मित संरचनाओं के लगभग 21 प्रकार की दरें थीं, जिसके कारण भ्रम पैदा होता था। संशोधित नियमों में केवल 8 दरें रखी गई हैं।