गुजरात अपनाएगा छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम का बारकोड मॉडल : राजा पांडेय
छत्तीसगढ़ में लागू नहीं होगा बिहार मॉडल,पाठ्य पुस्तकों के प्रकाशन की व्यवस्था रहेगी यथावत
रायपुर से सभी डिपो की मॉनिटरिंग करने लगाए गए सीसीटीवी कैमरे
रायपुर। छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम के बारकोड मॉडल की सराहना गुजरात ने की है। भविष्य में इसे अपनाने के लिए निगम के प्रतिनिधियों से आवश्यक जानकारियां प्राप्त की गई है। पाठ्य पुस्तक निगम ने शिकायतों पर नियंत्रण के लिए बारकोड सिस्टम शुरू किया है। सभी किताबों के पीछे दो बारकोड होते हैं। एक को स्कैन करने पर संकुल और दूसरे को स्कैन करने पर प्रिंटर की जानकारी मिलती है।
ये जानकारी देते हुए मंगलवार को छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम के अध्यक्ष राजा पांडेय ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि उनकी अध्यक्षता में सोमवार को कार्यकारिणी की बैठक में अनेक महत्वपूर्ण फैसले लिए गए।
बैठक में पाठ्य पुस्तकों के प्रकाशन में बिहार मॉडल की अटकलों को भी दरकिनार कर दिया गया है। आगामी शैक्षणिक सत्र 2026-27 के लिए पाठ्यपुस्तकों के प्रकाशन की वर्तमान प्रणाली ही जारी रहेगी। साथ ही जीपीएस ट्रैकिंग, बारकोडिंग और यू-डाइस डेटा आधारित प्रकाशन जैसे कई महत्वपूर्ण फैसले भी लिए गए। निगम के अध्यक्ष राजा पांडेय ने बैठक के महत्वपूर्ण फैसलों की जानकारी के साथ ही पिछले सत्र का लेखा-जोखा एवं आगामी सत्र की कार्य योजना का ब्यौरा प्रस्तुत किया।
कागज खरीदी में शासन को 24 करोड रुपए की बचत
अध्यक्ष राजा पांडेय ने कहा कि छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम के द्वारा इस सत्र में प्रथम बार जैम पोर्टल के माध्यम से कागज का क्रय किया गया। इसमें निविदाकर्ताओं से प्रतिस्पर्धा से 78 रुपए किलो प्रति मीट्रिक टन अनुसार दरें कागज का क्रय के लिए प्राप्त हुई। जबकि पिछले सत्र में खुली निविदा में यही कागज 98 रुपए प्रति मीट्रिक टन पर क्रय किया गया। अर्थात 20 रुपए प्रति मीट्रिक टन कम दर पर इस वर्ष कागज की खरीदी की गई। इस सत्र में 12000 मीट्रिक टन कागज निगम द्वारा 78 रुपए प्रति मीट्रिक टन की दर से जेम पोर्टल के माध्यम से खरीदा गया। इस प्रकार 20 रुपए प्रति किलो कम दर से कागज खरीदने के कारण शासन को 24 करोड रुपए राशि की बचत हुई।
उन्होंने बताया कि पुराने सत्र में बिना यूडाइस कोड संख्या एवं बिना बारकोड के लगभग 2.84 करोड़ किताबों का मुद्रण किया गया था। इस सत्र में निगम द्वारा युडाइस संख्या अनुसार बारकोड युक्त पाठ्य पुस्तकें मुद्रित की गई। डीपीआई एवं समग्र शिक्षा से प्राप्त डाटा अनुसार 2.41 करोड़ किताबें मुद्रित कर वितरित की गई।
शासन को लगभग 10 करोड रुपए की हुई बचत
शासन से प्राप्त संख्या 2.41 करोड़ किताबें मुद्रण एवं वितरण के पश्चात पुनः 23 लाख पाठ्य पुस्तकें मुद्रण का वितरित की गई। इस प्रकार इस सत्र में 2.64 करोड़ पाठ्यपुस्तकें निगम द्वारा मुद्रित की गई। इस प्रकार इस वर्ष पिछले सत्र की तुलना में लगभग 20 लाख कम पुस्तकें मुद्रित की गई। जिसकी लागत अनुसार शासन को लगभग 10 करोड रुपए की बचत हुई। पाठ्य पुस्तक वितरण के पश्चात निगम द्वारा सभी जिला शिक्षा अधिकारियों से पाठ्य पुस्तक प्राप्ति संबंधी प्रमाण पत्र भी प्राप्त किए गए।
1784 निजी स्कूलों ने नहीं ली किताबें, कार्यवाही की अनुशंसा
अध्यक्ष राजा पांडेय ने बताया कि इस सत्र में लगभग 1784 निजी स्कूलों द्वारा पाठ्य पुस्तक निगम से पुस्तक प्राप्त नहीं की गई। इसके संबंध में शिक्षा सचिव को जानकारी देते हुए उचित कार्यवाही किए जाने का अनुरोध किया गया है। इन निजी स्कूलों से लगभग 15 से 20 करोड़ की पाठ्यपुस्तकों की राशि की बचत शासन को हुई है।
आगामी सत्र की कार्ययोजना तैयार
अध्यक्ष राजा पांडेय ने बताया कि आगामी सत्र के लिए सुझाव प्राप्त हुए थे कि एक ही फर्म को एक ही निविदा के माध्यम से कागज सहित पाठ्य पुस्तक मुद्रण एवं वितरण का कार्य प्रदान किया जाए। ऐसा भारत में केवल बिहार में होता है। जहां एक ही निविदा के माध्यम से कागज सहित पाठ्य पुस्तक मुद्रण एवं वितरण का कार्य किया जाता है। इस संबंध में अध्ययन के लिए निगम द्वारा अपनी एक टीम बिहार भेजी गई थी। निगम की एक अन्य टीम द्वारा एनसीआरटी दिल्ली की पाठ्य पुस्तक मुद्रण एवं वितरण प्रणाली का अध्ययन किया गया। जहां पर छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम की कार्य प्रणाली की भांति ही पाठ्यपुस्तकों का मुद्रण एवं वितरण किया जाता है।
गुजरात में भी छत्तीसगढ़ की भांति ही होता है मुद्रण एवं वितरण
निगम की एक अन्य टीम द्वारा गुजरात राज्य की पाठ्य पुस्तक मुद्रण एवं वितरण प्रणाली का अध्ययन किया गया। यहां पर भी
छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम की कार्य प्रणाली की भांति ही पाठ्यपुस्तकों का मुद्रण व वितरण किया जाता है। गुजरात द्वारा भविष्य में छत्तीसगढ़ के बारकोड मॉडल को अपनाया जाएगा।
बिहार मॉडल से कागज की गुणवत्ता पर नहीं रहेगा हमारा नियंत्रण
राजा पांडेय ने कहा कि छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम में यदि बिहार मॉडल को अपनाया जाएगा तो कागज की गुणवत्ता पर निगम का किसी प्रकार का नियंत्रण नहीं होगा। वहां मुद्रक बिना बारकोड युक्त कागज का प्रयोग स्वयं पाठ्य पुस्तकों के मुद्रण के लिए उपयोग करता है। मुदित पाठ्य पुस्तकों में उपयोग किए गए कागज की केमिकल प्रॉपर्टी परिवर्तित हो जाती है। जिससे कागज का परीक्षण भी सही प्रकार से नहीं कराया जा सकता है। इससे बच्चों को गुणवत्ताहीन पाठ्य पुस्तकें प्राप्त होगी। बिहार मॉडल अनुसार मुद्रित पाठ्य पुस्तकों में सीजीपीएन का वाटरमार्क अंकित नहीं कराया जा सकता। क्योंकि यह हमारा कॉपीराइट है।
बिहार मॉडल से छोटे उद्यमी हो जाएंगे वंचित
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव राय की मंशा अनुसार प्रदेश में छोटे व्यापारी एवं छोटे उद्योगों को बढ़ावा दिया जाना है। बिहार मॉडल अपनाने पर पूंजीपति बड़े उद्यमी,जिनके पास कागज क्रय करने की राशि उपलब्ध होगी, वे ही पाठ्य पुस्तक मुद्रण निविदा में भाग ले पाएंगे। जबकि छोटे उद्यमी वंचित रह जाएंगे। इसलिए वर्तमान कार्य प्रणाली द्वारा आगामी सत्र के पाठ्यपुस्तक मुद्रण के संबंध में यह निर्णय लिया गया है।
पेनाल्टी में 1 प्रतिशत प्रति दिवस बढ़ोत्तरी का निर्णय
आगामी सत्र में कागज की गुणवत्ता में और अधिक सुधार किए जाने के लिए इसके मापदंडों में कुछ परिवर्तन किए गए हैं। निर्धारित अवधि से विलंब से कागज प्रदान करने पर पेनल्टी में एक प्रतिशत प्रति दिवस बढ़ोतरी का निर्णय लिया गया। साथ ही पाठ्य पुस्तकों के वितरण की अवधि में वितरण के ट्रैकिंग के लिए जीपीएस युक्त गाड़ियों के माध्यम से परिवहन कराए जाने की अनुशंसा की गई।
सीसीटीवी कैमरों से राज्य में डिपो की मॉनिटरिंग
निगम में कागज संग्रहण के लिए रायपुर डिपो तथा पाठ्य पुस्तकों के संग्रहण के लिए रायपुर,बिलासपुर, राजनांदगांव, अंबिकापुर,जगदलपुर, रायगढ़ में डिपो स्थापित है। जहां पर नियंत्रण के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। इसे निगम के कंट्रोल रूम से देखा जा सकता है। निगम के अध्यक्ष,एमडी एवं महाप्रबंधक के मोबाइल पर भी इसका एक्सेस दिया गया है।
नए शिक्षा सत्र में 1 जून को सभी स्कूलों में पहुंच जाएंगी किताबें
नए शिक्षा सत्र में 1 जून को सभी स्कूलों में किताबें पहुंच जाएंगी। इसके लिए व्यवस्था की जा रही है। डिपो की संख्या भी बढ़ाई गई है। आठ नए सब डिपो बनाए गए हैं। कागज की गुणवत्ता में कमी पाए जाने पर दो कंपनियों के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। 5 साल ब्लैक लिस्ट करने का प्रावधान है। छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम के द्वारा किसी भी तरह की शिकायत आने पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। कार्रवाई की जाएगी।

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