छत्तीसगढ़ में कल लगेगी साल 2025 की आखिरी 'नेशनल लोक अदालत': चेक बाउंस से लेकर बिजली बिल तक, राजीनामा से निपटाएं सारे विवाद
National Lok Adalat
रायपुर। अगर आपका कोई मामला कोर्ट में लंबे समय से लटका है या आप बैंक और बिजली विभाग के चक्कर काटकर थक चुके हैं, तो कल का दिन आपके लिए राहत भरा हो सकता है। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) के निर्देश पर कल, यानी शनिवार 13 दिसंबर 2025 को देशभर में 'नेशनल लोक अदालत' का आयोजन किया जा रहा है।
छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (SALSA), बिलासपुर की देखरेख में प्रदेश के सभी जिला और व्यवहार न्यायालयों में इसका आयोजन होगा। यह साल 2025 की चौथी और आखिरी लोक अदालत है।
किन मामलों का होगा निपटारा?
लोक अदालत का मुख्य उद्देश्य 'आपसी सुलह और राजीनामा' के जरिए विवादों को खत्म करना है। इसके लिए अलग-अलग खंडपीठों (Benches) का गठन किया गया है। यहाँ देखें उन मामलों की लिस्ट जिन्हें आप कल सुलझा सकते हैं:
1. कोर्ट में लंबित मामले (Pending Court Cases):
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अपराधिक मामले: शमनीय अपराध (जिन्हें समझौते से सुलझाया जा सकता है)।
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चेक बाउंस: धारा 138 (NI Act) के तहत दर्ज मामले।
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पारिवारिक विवाद: भरण-पोषण (धारा 125), वैवाहिक झगड़े (Matrimonial Disputes) और तलाक से जुड़े मामले।
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मुआवजा: मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण (MACT) के केस।
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अन्य: ट्रैफिक चालान, किराएदारी विवाद, आबकारी मामले और भारतीय न्याय संहिता (BNS-2023) के तहत आने वाले कार्यवाही योग्य मामले।
2. प्री-लिटिगेशन और अन्य मामले (Pre-litigation Cases):
ये वे मामले हैं जो अभी कोर्ट तक नहीं पहुंचे हैं, लेकिन विवाद का कारण हैं:
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बैंकिंग: लोन रिकवरी और क्रेडिट कार्ड विवाद।
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सरकारी बिल: बिजली बिल, पानी टैक्स (Water Tax) और संपत्ति कर (Property Tax) की वसूली।
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राजस्व मामले: जमीन का नामांतरण (Mutation), खातेदारों के बीच आपसी बंटवारा, वारिसों के बीच संपत्ति का बंटवारा, और सुखाधिकार से जुड़े मामले।
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नगर निगम/पालिका: दुकान किराया या अन्य वसूली संबंधी मामले।
कैसे लें भाग?
अगर आपका मामला कोर्ट में है, तो आप अपने वकील के माध्यम से या सीधे कोर्ट में उपस्थित होकर लोक अदालत की खंडपीठ के सामने अपना पक्ष रख सकते हैं। प्री-लिटिगेशन मामलों (जैसे बैंक या बिजली बिल) के लिए संबंधित विभाग द्वारा पहले ही नोटिस जारी किए गए होंगे, या आप सीधे जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में आवेदन देकर अपना मामला रख सकते हैं।
क्यों है यह खास?
लोक अदालत में फैसला आपसी सहमति से होता है, इसलिए इसमें किसी की हार-जीत नहीं होती। यहाँ हुआ फैसला अंतिम होता है और इसके खिलाफ किसी अन्य कोर्ट में अपील नहीं की जा सकती। साथ ही, इससे समय और पैसे दोनों की बचत होती है।

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