जरूरत पड़ी तो जमीन की गाइडलाइन दरों में करेंगे बदलाव: सीएम

जरूरत पड़ी तो जमीन की गाइडलाइन दरों में करेंगे बदलाव: सीएम
रायपुर (चैनल इंडिया)। प्रदेश में जमीन खरीद-फरोख्त के लिए जारी नई कलेक्टर गाइडलाइन दरों में भारी बढ़ोतरी के बाद राजनीतिक माहौल गर्म हो गया है। कई जिलों में गाइडलाइन दरों में सौ प्रतिशत तक वृद्धि दर्ज की गई है, जबकि कुछ क्षेत्रों में यह बढ़ोतरी 800 प्रतिशत तक पहुंच गई है। अचानक बढ़े इन दरों को लेकर आम जनता, व्यापारी, किसान और राजनीतिक दल खुलकर विरोध जता रहे हैं। इसी बीच मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने स्थिति पर संज्ञान लेते हुए स्पष्ट किया है कि सरकार जनता को किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं होने देगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गाइडलाइन दरों को लेकर अभी भी विभागीय मंथन जारी है और जरूरत पडऩे पर सरकार इसमें पुनर्विचार करने के लिए तैयार है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2017 के बाद से जमीन की गाइडलाइन दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई थी जबकि नियमों के अनुसार हर साल इन दरों में संशोधन होना चाहिए। उन्होंने बताया कि गाइड लाइन बढऩे के कई सकारात्मक पहलू भी हैं, परंतु वे अभी जनता के सामने उतने स्पष्ट रूप से नहीं आ पा रहे हैं। उन्होंने भरोसा दिलाया कि यदि नई दरों से आम जनता को किसी भी प्रकार की असुविधा होती है तो सरकार स्थिति की समीक्षा करेगी और लोगों को राहत देने के विकल्पों पर गंभीरता से विचार करेगी।
गौरतलब है कि राज्य में नई गाइडलाइन का विरोध लगातार बढ़ रहा है और सरकार पर दबाव भी। ऐसे में आने वाले दिनों में गाइडलाइन दरों में संशोधन या राहत देने संबंधी कोई निर्णय लिया जा सकता है। छत्तीसगढ़ में जमीन दरों को लेकर जारी यह खींचातानी अब प्रमुख राजनीतिक मुद्दा बन चुकी है।
बढ़ोतरी के कई आदेश वापस 
छत्तीसगढ़ सरकार ने जमीन की नई गाइडलाइन रेट में हाल ही में की गई बढ़ोतरी के कई आदेश तत्काल प्रभाव से वापस ले लिए हैं। नगर क्षेत्र में 1400 वर्ग मीटर के इंक्रीमेंटल आधार वाला आदेश, कमर्शियल कॉम्प्लेक्स के सामने और पीछे के रेट को समान करने वाला आदेश और बहु-मंजिला इमारत के सुपर बिल्ट-अप एरिया के आधार पर बाजार मूल्य तय करने वाला आदेश वापस लिए गए हैं। सरकार ने स्पष्ट किया है कि बाकी जगहों के लिए आम जनता से सुझाव और शिकायत आमंत्रित किए जा रहे हैं। इच्छुक व्यक्ति 31 दिसंबर तक अपने सुझाव या शिकायत जमा कर सकते हैं। इस कदम से जमीन की कीमतों में अचानक बदलाव से जनता को होने वाली असुविधा को कम करने की कोशिश की गई है।