गीता जयंती 2025: 1 दिसंबर को मनाई जाएगी पावन तिथि, जानें सही पूजा विधि और गीता उपदेश का महत्व
नई दिल्ली। हिंदू धर्म में गीता जयंती एक अत्यंत पवित्र पर्व मानी जाती है। यह उत्सव हर वर्ष मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। मान्यता है कि इसी दिन कुरुक्षेत्र के रणभूमि में, युद्ध प्रारंभ होने से ठीक पहले, भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को श्रीमद्भगवद्गीता का दिव्य उपदेश दिया था। यही कारण है कि इसे मोक्षदा एकादशी भी कहा जाता है।
गीता जयंती 2025 कब है?
वैदिक पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि
30 नवंबर रात 9:29 बजे शुरू होगी
1 दिसंबर शाम 7:01 बजे समाप्त होगी
उदयातिथि 1 दिसंबर को पड़ने के कारण गीता जयंती 2025 सोमवार, 1 दिसंबर को ही मनाई जाएगी।
गीता जयंती का धार्मिक महत्व
श्रीमद्भगवद्गीता महाभारत के भीष्म पर्व का हिस्सा है, जिसमें 18 अध्याय और 700 श्लोक शामिल हैं। इसे मानव जीवन का मार्गदर्शन ग्रंथ भी कहा जाता है।
गाथाओं के अनुसार - इस दिन गीता के पूर्ण 18 अध्यायों का पाठ करने से पापों का नाश होता है। गीता के एक श्लोक का भी उच्चारण किया जाए तो हजार गोदान के बराबर फल प्राप्त होता है। भक्तों को मोक्ष और वैकुण्ठ धाम की प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है।
गीता जयंती 2025: घर पर सरल पूजा विधि
✔️ 1. प्रातः स्नान कर पीले या सफेद वस्त्र पहनें।
✔️ 2. पूजा स्थल पर श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को उपदेश देते हुए चित्र या मूर्ति स्थापित करें।
यदि उपलब्ध न हो, तो श्रीकृष्ण - राधा की प्रतिमा तथा श्रीमद्भगवद्गीता रख सकते हैं।
✔️ 3. गीता ग्रंथ को पीले कपड़े में लपेटकर तिलक, अक्षत और पुष्प अर्पित करें।
✔️ 4. घी का दीपक जलाएं और धूप/अगरबत्ती दिखाएं।
✔️ 5. माखन-मिश्री, पंचमेवा और तुलसी दल का भोग लगाएं।
✔️ 6. मंत्र जाप करें: “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” या “ॐ श्री परमात्मने नमः”
✔️ 7. श्रीमद्भगवद्गीता के 18 अध्यायों का पाठ करें।
यदि समय न हो, तो गीता माहात्म्य के 7 श्लोकों का पाठ भी बेहद पुण्यदायी माना गया है।
✔️ 8. श्रीकृष्ण की आरती - “ॐ जय जगदीश हरे” करें और प्रसाद वितरित करें।
गीता जयंती का सार
गीता जयंती हमें जीवन में धर्म, कर्म, ज्ञान, भक्ति और आत्मा की मुक्ति का संदेश देती है। श्रीकृष्ण का उपदेश आज भी हर व्यक्ति को सही निर्णय, संतुलित जीवन और आंतरिक शांति की राह दिखाता है।

admin 









