मुख्य सचिव के तीखे तेवर से कांपे अफसर, एक-एक की लगाई क्लास, 31 तक का टारगेट

मुख्य सचिव के तीखे तेवर से कांपे अफसर, एक-एक की लगाई क्लास, 31 तक का टारगेट
रायपुर (चैनल इंडिया)।  मंगलवार की सुबह 9.50 बजे महानदी मंत्रालय भवन के गेट पर अचानक करीब सौ गाडिय़ां का रेला। किसी में सिकेट्री बैठे, किसी में डायरेक्टर और एमडी। जाम देख कार का गेट खोल दौड़ते-भागते मंत्रालय में घुसते अफसर। गेट पर कोई बायोमेट्रिक से अटेंडेंस लगा रहा था, तो कई दौड़ते हुए मोबाइल ऐप्प से हाजिरी लगा रहे थे। भीतर गए तो तीनों लिफ्ट के पास लाइन। लिफ्ट में टाईम इसलिए लग रहा था, क्योंकि सभी पांचवे फ्लोर पर नवनिर्मित आडिटोरियम जा रहे थे।
दरअसल, मंगलवार को मुख्य सचिव विकासशील ने आज एक बड़ी रिव्यू मीटिंग बुलाई थी। छत्तीसगढ़ में उस तरह कभी पूंजीगत व्यय टाईम पर क्यों नहीं हुआ, कभी किसी ने बड़े अफसरानों से पूछा ही नहीं। और जब पूछा गया तो सबकी कलई खुल गई। आलम यह था कि बजट स्वीकृति के बाद दो-दो साल लग जा रहा प्रशासकीय स्वीकृति लेने में। प्रशासकीय स्वीकृति अपने मंत्री से ली जाती है। मगर इस काम में भी सचिव और डायरेक्टर दो-दो साल लगा दे रहे। 
रिव्यू मीटिंग में सचिवों को बुलाया जरूर गया था मगर सीएस ने सीधे बात की डायरेक्टरों और एमडी से। कुछ सचिवों ने बीच में बोल अपने अफसरों की बचाने की कोशिश की तो उन्हें झिडक़ी मिल गई। एसएनए-स्पर्श प्रणाली में ऑनबोर्डिंग और पेमेंट की अद्यतन स्थिति दर्ज न करने पर कई डायरेक्टरों को जमकर फटकार लगी। कुछ डायरेक्टरों ने सीएस को आंकड़ों की बाजीगरी में उलझाने का प्रयास किया, इस पर उनकी क्लास लग गई। कई बार एक साल के बजट में मिले पैसे से दो-दो साल में काम शुरू नहीं हो पाते। इस पर मुख्य सचिव विकास शील काफी नाराज हुए। उन्होंने कहा कि जब क्षमता नहीं होती तो उतने प्लान क्यों बना लेते हैं आपलोग? उतने ही प्लान बनाएं जितना कर सकते हैं।
31 दिसंबर तक का दिया टाइम
मुख्य सचिव ने कहा कि क्षमता से 20-25 परसेंट अधिक प्लान लिया जा सकता है मगर ऐसा नहीं कि दोगुने-तीगुने कर लिए। इसमें भी प्रायरिटी के हिसाब से प्रशासनिक स्वीकृति लेनी चाहिए। उन्होंने 31 दिसंबर तक का टाईम लिमिट दिया कि इस दिन तक इतने काम का भुगतान और कामों की प्रशासनिक स्वीकृति लेनी है। इसके लिए उन्होंने सभी से पूछपूछकर नोटबुक में लिखा कि 31 दिसंबर तक कौन कितना कर पाएगा? अगले महीने फिर इसका रिव्यू किया जाएगा। अधिकारियों को फिर बताना होगा, उसमें से वे कितना कर पाए।